“ये रात फिर न आएगी, जवानी बीत जाएगी” – लीला पाण्डे
...........शिशिर कृष्ण शर्मा
ऐसी ही एक कलाकार थीं लीला पाण्डे, जिन्होंने 8 साल के अपने करियर में कुल जमा एक दर्जन फ़िल्मों में काम किया, अपनी ख़ासी पहचान बनाई, और फिर शादी करके फ़िल्मों को अलविदा कह दिया| अशोक कुमार की फ़िल्म 'महल' (1949) का, राजकुमारी और जोहराबाई का गाया सुपरहिट गीत 'ये रात फिर न आएगी, जवानी बीत जाएगी' लीला पाण्डे और नृत्यांगना शीला नाईक पर फ़िल्माया गया था|
'Ye Raat Phir Na Ayegi, Jawani Beet Jayegi' - 'Mahal' (1949) with Sheela Naik |
लीला पाण्डे का असली नाम रमा मोहन था| उनका जन्म 25 दिसंबर 1930 को लाहौर में, कश्मीरी मूल के एक मोह्याल ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जिन्हें हुसैनी ब्राह्मण भी कहा जाता है| 2 भाई और 2 बहनों में लीला पाण्डे सबसे बड़ी थीं| लीला जी से छोटे शम्मी मोहन थे, उनसे छोटी बहन शबनम और सबसे छोटे भाई राज मोहन| लीला जी के पिता धरमपाल मोहन देहरादून में सर्वे ऑफ़ इंडिया में नौकरी करते थे|
साल 1945 से 1953 तक 8 साल के अपने करियर में लीला जी ने कुल 12 फ़िल्मों में काम किया -
1. धर्म (1945) 2. शतरंज (1946)
3. चित्तौड़ विजय (1947) 4. गैबी तलवार (1948)
7. अलाउद्दीन की बेटी (1949) 8. अपराधी (1949)
9. महल (1949) 10. सती अहिल्या (1949)
11. मांग (1950) 12. आबशार (1953)
आज इनमें से केवल दो ही फ़िल्में उपलब्ध हैं - 'महल' और 'अपराधी', जिन्हें यूट्यूब पर देखा जा सकता है| ‘महल' में लीला जी केवल एक गीत में नज़र आयीं, तो 'अपराधी' में मधुबाला, रामसिंह और प्राण के साथ उन्होंने भी, स्वतंत्रता सेनानी का एक बेहद अहम किरदार निभाया था| उधर एक रोज़ पिकनिक पर जाते समय उनकी कार खंडाला में दुर्घटनाग्रस्त होकर गहरी खाई में गिर गयी थी| इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल लीला जी लम्बे समय तक मुम्बई के ब्रीचकैंडी अस्पताल में भर्ती रहीं और डॉक्टरों को उनके पैर का अंगूठा काटना पड़ा|
पश्तो, हिन्दी, अंग्रेज़ी, पंजाबी और मराठी भाषाओं पर लीला जी की मज़बूत पकड़ थी| लिखने का उन्हें बेहद शौक़ था और वो एक बेहतरीन शायरा थीं| लीला जी एक ट्रेंड कत्थक डांसर भी थीं, लेकिन पैर का अंगूठा कट जाने के बाद उन्हें कत्थक छोड़ देना पड़ा था|
With Ram Singh in 'Apradhi' (1949) |
साल 1970 में लीला जी के पिता रिटायर हुए तो उनके आग्रह पर लीला जी 1972 में तीनों भाई-बहन को साथ लेकर देहरादून लौट आयीं| लेकिन कुछ ही दिनों बाद उनके पिता का निधन हो गया| उधर लीला जी के पति को नौकरी की वजह से मुम्बई में ही रहना पड़ा| ऐसे में लीला जी का मुम्बई और देहरादून के बीच आना जाना लगा रहता था|
लीला पाण्डे यानि रमा मोहन उर्फ़ रमा बख्शी की आर्थिक स्थिति मज़बूत थी| कोलाबा-मुम्बई के अपने फ्लैट से उन्हें हर महीने किराया मिलता था| देहरादून में उन्होंने प्रॉपर्टी के अलावा आयुर्वेदिक दवाएं और प्रसाधन सामग्री बनाने वाली एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जानीमानी कंपनी में भी अच्छा-खासा निवेश किया हुआ था| मुम्बई की कई नामचीन फ़िल्मी हस्तियों से उनके पारिवारिक रिश्ते थे| अभिनेता बलराज साहनी, गीतकार भरत व्यास और गीतकार आनंद बख्शी जैसे दिग्गज उनसे मिलने देहरादून भी आए थे| आनंद बक्षी रिश्ते में उनके देवर थे|
Smt. Indu Mohan |
(स्वर्गीय) शम्मी मोहन जी की पत्नी श्रीमती इंदु मोहन और बेटे मेहराज मोहन की सलाह पर अतिरिक्त जानकारी के लिए मैंने (स्वर्गीय) भरत व्यास जी के भतीजे और अभिनेता बी.एम.व्यास जी के बेटे मनमोहन व्यास, (स्वर्गीय) आनंद बख्शी जी के बेटे राकेश बख्शी और (स्वर्गीय) बलराज साहनी जी के बेटे परीक्षित साहनी से संपर्क किया| श्री मनमोहन व्यास और श्री राकेश बख्शी ने तो विनम्रता के साथ, लीला जी के बारे में किसी भी तरह की जानकारी को लेकर अनभिज्ञता जताई, लेकिन परीक्षित साहनी ने ये जानते हुए भी कि याचक कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि 'सिने एंड टी.वी. आर्टिस्ट एसोसिएशन' (सिंटा) और 'फ़िल्म राईटर्स एसोसिएशन' का सदस्य है, जवाब देने की भी ज़हमत नहीं उठाई|
Shri Vishwa Narayan Uniyal |
We are thankful to –
Mr. Vishwa Narayan Uniyal aka Tony (Nawada-Dehradun / NOIDA) for connecting us with Leela Pandey’s kin @ Dehradun.
Mr. Harish Raghuvanshi & Mr. Harmandir Singh ‘Hamraz’ for their valuable suggestion, guidance, and support.
Mr. S.M.M.Ausaja for providing movies’ posters.
Mr. Gajendra Khanna for the English translation of the write up.
Mr. Manaswi Sharma for the technical support including video editing.
Leela Pandey on YT Channel BHD
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