..............शिशिर
कृष्ण शर्मा
गोवा
के कोंकणी
भाषी कलाकारों
का हिंदी
सिनेमा के
साथ हमेशा
से ही
गहरा रिश्ता
रहा है।
मूक फ़िल्मों
के दौर
की स्टार
सुधाबाला
(एर्मेलीन कार्दोज़)
से लेकर
बोलती फ़िल्मों
की स्टार
अभिनेत्रियां मीनाक्षी
शिरोडकर,
जयश्री शांताराम,
वर्षा उसगांवकर,
अभिनेता सचिन,
निर्देशक एन.
चन्द्रा,
दिनेश भोंसले,
गायिकाएं लता,
आशा,
हेमा सरदेसाई,
गायक रेमो
फ़र्नांडिस,
संगीतकार और
अरेंजर एन.दत्ता,
दत्ताराम,
चिकचॉकलेट,
एंथोनी गोंसाल्विस,
फ़िल्म सम्पादक
डी.एन.पै,
भानुदास दिवकर,
वामन भोंसले,
वीरेन्द्र घरसे
और कला
निर्देशक रत्नाकर
फड़के,
वी.आर.कारेकर,
सुशांत तारी
जैसे तमाम
कलाकारों और
तकनीशियनों की
जड़ें गोवा
से ही
जुड़ी हुई
थीं और
हैं। इन्हीं
कलाकारों में
शामिल थीं
जानी-मानी
अभिनेत्री और
डांसर मोहना,
जिन्होंने 1940
के दशक
के अंत
में हिंदी
फ़िल्मों में
कदम रखा
था। महज़
10 साल
के करियर
में मोहना
क़रीब दो
दर्जन फिल्मों
में अभिनय
और डांस
करती नज़र
आयीं और
फिर फ़िल्मों
को ही
नहीं बल्कि
भारत को
भी अलविदा
कह गयीं।
मोहना के बारे में जानने की उत्सुकता मन में तब पैदा हुई जब अचानक ही एक रोज़ नेट पर ‘लाईफ़ मैगज़ीन’ के लिए किए गए उनके फ़ोटोशूट की बेहद खूबसूरत तस्वीरें नज़र आयीं। उनके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की लेकिन कहीं भी कुछ ख़ास नहीं मिला और जो मिला, उस पर पूरी तरह से यक़ीन नहीं किया जा सकता था। लेकिन इतना तय हो चुका था कि मोहना अब जीवित नहीं हैं। चूंकि ‘बीते हुए दिन’ में प्रकाशित साक्षात्कार और आलेख सम्बन्धित कलाकार अथवा उनके परिजनों से व्यक्तिगत बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं और मोहना के परिजनों के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं थी इसलिए हमें इस विषय को टाल देना पड़ा। लेकिन अचानक ही एक रोज़ हमें बिना किसी कोशिश के मोहना की बहन का पता मिल गया।
दरअसल साल 2014 के नवम्बर माह में गोवा में ‘अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह – इफ़ी’ का आयोजन किया गया था। समारोह के कला-निर्देशक सुशांत तारी चाहते थे कि इस अवसर पर श्रद्धांजलिस्वरूप भारतीय सिनेमा के शुरूआती दौर से जुड़े भूले-बिसरे कलाकारों की यादों को ताज़ा किया जाए। उनके आग्रह पर मैंने मूक फ़िल्मों के ज़माने से लेकर हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम दौर तक के 3 दर्जन से ज़्यादा प्रमुख कलाकारों और तकनीशियनों की तस्वीरें और संक्षिप्त परिचय उन्हें उपलब्ध करा दिया।
लेकिन
गोवा से
जुड़े हुए
कलाकारों को
एक अलग
वर्ग में
रखा गया
था जिसकी
ज़िम्मेदारी मूलत:
गोवा के
ही रहने
वाले मेरे
क़रीबी मित्र
और पुरस्कृत
मराठी फ़िल्म
‘मर्मबंध’,
हिंदी फ़िल्म
‘कालापुर’
और आने
वाली कोंकणी
फ़िल्म
‘एनिमी’
के निर्देशक
दिनेश भोंसले
(चित्र में) ने
ली। इस
सिलसिले में
दिनेश की
मुलाक़ात मोहना
की बहन
ओफ़ेलिया से
हुई और
फिर उनके
ज़रिए मैं
भी ओफ़ेलिया
तक जा
पहुंचा। 9
मार्च 2015
की शाम
ओफ़ेलिया के
घर पर
हुई मुलाक़ात
के दौरान
उनसे मोहना
के बारे
में काफ़ी
जानकारी हासिल
हुई।
दो बहनों और तीन भाईयों में सबसे बड़ी मोहना का जन्म 3 फ़रवरी 1929 को गोवा के सुकुर-पोर्वोरिम में, एक ईसाई परिवार में हुआ था। उनका नाम रखा गया, मोना ब्लासिया कब्राल। मोहना के पिता रॉबर्ट कब्राल श्रीलंका में नौकरी करते थे लेकिन 1930 के दशक के उत्तरार्ध में वो गोवा लौट आए थे।
उन्हीं दिनों उन्हें हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कम्पनी में कैशियर की नौकरी मिली तो वो पत्नी लीना और बच्चों को साथ लेकर मुम्बई चले आए। मोहना की शुरूआती पढ़ाई पोर्वोरिम और मुम्बई में हुई थी। कुछ समय बाद उन्हें पुणे के एक बोर्डिंग स्कूल में दाख़िला दिला दिया गया जहां से उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की और फिर उन्हें एक टेलिफोन कम्पनी में टेलिफोन ऑपरेटर की नौकरी मिल गयी। दरअसल नौकरी ही मोहना के फ़िल्मों में आने की वजह बनी।ओफ़ेलिया
बताती हैं,
“उन दिनों
आज की
तरह सीधी
टेलिफ़ोन सुविधा
नहीं थी।
इच्छित नम्बर
टेलिफोन ऑपरेटर
के ज़रिए
मिलाया जाता
था। ऐसे
में रोज़ाना
ही मोहना
का सम्पर्क
उस दौर
की नामी-गिरामी
हस्तियों से
होता रहता
था जिनमें
फिल्मों से
जुड़े लोग
भी शामिल
थे। नौकरी
की वजह
से ही
अभिनेत्री बेगमपारा,
प्रोतिमा दासगुप्ता
और नरगिस
से मोहना
की अच्छी
दोस्ती हो
गयी थी।
निर्माता-निर्देशक-अभिनेता
किशोर साहू
ने फ़िल्म
‘सावन आया
रे’
में उन्हें
ब्रेक दिया
था। मोना
की जगह
फ़िल्मी नाम
‘मोहना’
भी उन्हें
किशोर साहू
ने ही
दिया था”।
फ़िल्म
‘सावन आया
रे’
साल 1949
में बनी
थी जो
ओफ़ेलिया के
अनुसार मोहना
की पहली
फ़िल्म थी।
लेकिन सबसे
पहले मोहना
साल 1948
में बनी
आर.के.बैनर
की पहली
फ़िल्म
‘आग’
के गीत
‘रात को
जी चमके
तारे’
में (चित्र
में) अभिनेता
विश्वा मेहरा
के साथ
परदे पर
नज़र आयी
थीं,
हालांकि इस
फ़िल्म के
क्रेडिट्स में
उनका नाम
नहीं था।
ऐसा प्रतीत
होता है
कि फ़िल्म
‘आग’
उन्हें ‘सावन
आया रे’
के बाद
मिली होगी
लेकिन प्रदर्शित
वो ‘सावन
आया रे’
से पहले
हुई।
‘आग’
और
‘सावन आया
रे’
के बाद
अगले एक
दशक में
मोहना ने
‘चार दिन’,
‘कमल’,
‘पतंगा’
(सभी
1949), ‘अदा’,
‘नादान’,
‘सगाई’,
‘संसार’
(सभी
1951), ‘छम
छमा छम’,
‘नज़रिया’,
‘साक़ी’,
‘सलोनी’
(सभी
1952), ‘शोले’
(1953), ‘डंका’,
‘दोस्त’,
‘शर्त’
(1954), ‘इंसानियत’,
‘मैरीन ड्राईव’,
‘सौ का
नोट’,
‘तीरन्दाज़’
(सभी
1955), ‘स्वर्णसुन्दरी’
और
‘बाग़ी सिपाही’
(1958) में
हास्य और
खल भूमिकाएं
कीं और
साथ ही
कई हिट
गीतों पर
डांस भी
किया और
फिर शादी
करके फ़िल्मों
को ही
नहीं बल्कि
भारत को
भी अलविदा
कह दिया।
मोहना
ने दो
शादियां की
थीं। उनकी
पहली शादी
साल 1951
में बेहद
नाटकीय अंदाज़
में हुई
थी। दरअसल
वो मुम्बई
के मशहूर
अम्बेसडर होटल
के रिहर्सल
रूम में
फ़िल्म ‘संसार’
(चित्र
में) के
गीत की
रिहर्सल कर
रही थीं।
रिहर्सल रूम
के ठीक
सामने वाले
कमरे में
एक अंग्रेज़
युवक ठहरा
हुआ था
जो रिहर्सल
के लगातार
शोरशराबे से
बेहद परेशान
था। 3-4
दिन बाद
जब हालात
बर्दश्त से
बाहर हो
गए तो
वो ग़ुस्से
में सीधा
रिहर्सल रूम
में घुस
आया। लेकिन
मोहना पर
नज़र पड़ते
ही उसका
ग़ुस्सा ग़ायब
हो गया
और वो
माफ़ी मांग
कर वापस
लौट गया।
मोहना की
ख़ूबसूरती ने
उस पर
जादू सा
कर दिया
था। वो
अंग्रेज़ युवक
इंडियन रॉयल
एयर फ़ोर्स
में पायलट
था और
उसका नाम
एडवर्ड डॉऊनिंग
था। एडवर्ड
ने मोहना
से दोस्ती
की,
दोनों में
प्यार हुआ
और बहुत
जल्द उनकी
शादी भी
हो गयी।
एडवर्ड से
मोहना को
एक बेटा
हुआ जिसका
नाम उन्होंने
मार्क रखा।
लेकिन शादी
के एक-डेढ़
साल के
भीतर ही
कोलकाता हवाईअड्डे
पर हुए
विमान हादसे
में एडवर्ड
की मौत
हो गयी।
ओफ़ेलिया
बताती हैं,
“जून 1952
में मोहना
ने मशहूर
कोंकणी रंगकर्मी
सी.अल्वेयर्स
के बैनर
‘अल्वेयर्स
प्रोडक्शन’
के नाटक
‘कुर्तूब अवॉईके’
से कोंकणी
रंगमंच पर
कदम रखा
और बहुत
जल्द वो
कोंकणी नाटकों
की स्टार
अभिनेत्री बन
गयीं।
‘अल्वेयर्स प्रोडक्शन’
के नाटकों
की वो
स्थायी हिरोईन
थीं। इसके
अलावा मोहना
एक बेहतरीन
गायिका भी
थीं। उनके
गाए कोंकणी
गीत आकाशवाणी
पणजी से
नियमित तौर
पर प्रसारित
होते थे
और उनके
गीतों के
कई रेकॉर्ड्स
भी बने
थे”।
1950 के
दशक के
मध्य में
मोहना की
दूसरी शादी
हिन्दुस्तान लीवर्स
कम्पनी के
अंग्रेज़ जनरल
मैनेजर जॉन
डी’फ़्रेट्स
से हुई।
कम्पनी ने
जॉन के
एक भारतीय
महिला से
शादी करने
पर आपत्ति
की तो
जॉन ने
हिन्दुस्तान लीवर्स
से इस्तीफ़ा
देकर संयुक्त
राष्ट्र संघ
में नौकरी
कर ली।
ओफ़ेलिया के
मुताबिक़ साल
1955 में
बनी फ़िल्म
‘इंसानियत’
के बाद
मोहना ने
फ़िल्मों को
अलविदा कह
दिया,
हालांकि उनकी
फ़िल्मोग्राफ़ी के
मुताबिक़ साल
1958 में
भी उनकी
दो फ़िल्में
‘स्वर्णसुंदरी’
और
‘बाग़ी सिपाही’
प्रदर्शित हुई
थीं।
क़रीब
25 साल
बेरूत में
गुज़ारने के
बाद जॉन
डी’फ़्रेट्स
को पोस्टिंग
पर विएना-ऑस्ट्रिया
भेज दिया
गया। साल
1986 में
रिटायरमेंट के
बाद जॉन
डी’फ़्रेट्स
पत्नी मोहना
और बेटी
के साथ
फ़्रांस में
बस गए
जहां 11
सितम्बर 1990
को दिल
का दौरा
पड़ने से
मोहना का
निधन हो
गया। उस
वक़्त उनकी
उम्र 61
साल थी।
मोहना
के पति
जॉन डी’फ़्रेट्स
का निधन
12 सितम्बर
1998 को
मॉण्टेलिमार,
फ़्रांस में
हुआ। मोहना
का पहले
पति से
बेटा मार्क
अमेरिका के
केलिफ़ोर्निया शहर
में ज्वैलरी
का कारोबार
करते हैं।
दूसरे पति
से हुई
उनकी बेटी
क्लेयर विवाहित
हैं और
फ़्रांस में
रहती हैं।
मोहना
से 9 साल
छोटी उनकी
बहन ओफ़ेलिया
डी’सूज़ा
और ओफ़ेलिया
के पति
बाब पीटर
(चित्र
में) भी
कोंकणी नाटकों
के बहुत
बड़े स्टार
थे। बाब
एक अभिनेता
होने के
साथ साथ
गायक,
संगीतकार और
लेखक भी
थे। उन्होंने
कई कोंकणी
नाटक लिखे।
उधर ‘ट्रेजेडी
क्वीन’
के नाम
से मशहूर
ओफ़ेलिया अभिनेत्री
होने के
साथ ही
एक बेहतरीन
गायिका भी
थीं। मोहना
की तरह
उनके गाए
कोंकणी गीत
भी अक्सर
आकाशवाणी से
प्रसारित होते
थे। ओफ़ेलिया
साल 1954
से 1997
तक कोंकणी
रंगमंच पर
सक्रिय रहीं।
इन 43
सालों में
ओफ़ेलिया ने
क़रीब 300
नाटकों में
अभिनय किया
और फिर
बढ़ती उम्र
और अस्वस्थता
की वजह
से रंगमंच
को अलविदा
कह दिया।
ओफ़ेलिया के पति बाब पीटर साल 2005 में गुज़रे। 77 वर्षीय ओफ़ेलिया डी’सूज़ा अब अपनी बेटी-दामाद के साथ मुम्बई के माहिम (पश्चिम) में रहती हैं। बढ़ती उम्र और गिरते स्वास्थ्य की वजह से मोहना के करियर से सम्बन्धित कई महत्वपूर्ण बातें उन्हें याद नहीं थीं। ऐसे में हिंदी सिनेमा के सुनहरी दौर के कलाकारों के बारे में बेहतरीन जानकारी रखने वाले मेरठ निवासी श्री मूलनारायण (एम.एन.) सरदाना जी मदद के लिए आगे आए।
उन्होंने मोहना की कई फ़िल्मों और उन पर फ़िल्माए गए गीतों की सूची ‘बीते हुए दिन’ को उपलब्ध कराई जिसके लिए हम उनके आभारी हैं। उधर हमेशा की तरह सूरत निवासी वरिष्ठ फ़िल्म इतिहासकार श्री हरीश रघुवंशी जी से हुई बातचीत और कानपुर के श्री हरमंदिर सिंह ‘हमराज़’ द्वारा संकलित ‘हिंदी फ़िल्म गीतकोश’ के गहन अध्ययन से भी मोहना पर आलेख तैयार करने में हमें काफ़ी मदद मिली जो अब पाठकों के सामने है।ओफ़ेलिया डी’सूज़ा (चित्र में) का निधन 19 फ़रवरी 2016 को मुम्बई में हुआ|
(मोहना की तस्वीरें - सौजन्य : ‘लाइफ़ मैगज़ीन’)
We
are thankful to –
Mr. Mool Narayan (M.N.) Sardana, Mr.
Harish Raghuvanshi & Mr. Harmandir
Singh ‘Hamraz’ for their valuable suggestion, guidance and
support.
Mr.
S.M.M.Ausaja for providing movies’ posters & pictures.
Ms. Aksher Apoorva for the English translation of the write ups.
Mr.
Manaswi Sharma for the technical support including video
editing.
Mohana on YT Channel BHD
“Pehle To Ho Gai Namaste Namaste” – Mohana
...........Shishir Krishna Sharma
Goa’s Konkani speaking artistes have
always had a close association with Hindi cinema. From star
Sudhabala
(Ermeline
Cardoze) of the silent era of cinema to star
actresses
Minaxi
Shirodkar, Jayshri Shantaram,
Varsha
Usgaonkar, actor
Sachin,
directors
N.Chandra,
Dinesh Bhonsle, singers
Lata,
Asha,
Hema
Sardesai, Remo Fernandez,
composers
& arrangers N.Datta,
Dattaram,
Chic Chocolate,
Anthony
Gonsalves, film editors
D.N.Pai,
Bhanudas
Divkar, Waman Bhonsle,
Virendra
Gharse and art
directors
Ratnakar
Phadke, V.R.Karekar, Sushant Tari
and many
more such artistes & technicians have had roots that belong to Goa. Of
these artistes there was one more well-known actress & dancer
Mohana, who entered Hindi films towards the
end of the 1940 decade. In a short career of 10 years, Mohana was seen acting
and dancing in almost 2 dozen films and then she bid adieu to not only films
but also to India.
The yearning to learn more about Mohana
came about when out of the blue I saw some very beautiful photographs of her
online from a photo-shoot done for LIFE magazine. I ventured out to learn more
about her but the exercise seemed futile as there was not much that I could
learn about her and whatever information I did receive was not completely
reliable. But this much was sure that Mohana was not with us anymore. It is a
known fact among our readers that the interviews & write-ups published by ‘Beete Hue Din’
are based
on one-on-one interviews with the celebrity and / or their kin and since we
couldn’t even find any close acquaintances of Mohana, we had to drop this
write-up. But then one day, suddenly without any effort, we came to know
Mohana’s sisters whereabouts.
The story goes that in November, 2014,
the ‘International Film Festival of India
– IFFI’ was organised in Goa. The event’s art
director, Sushant Tari wanted to pay a tribute to the long forgotten artists
from the early era of Indian cinema. On his request I provided him with
pictures and short write-ups of about 3 dozen prominent artists and technicians
all from the silent era of cinema to the golden era of Hindi cinema. Also, the
artists hailing from Goa were kept in a separate category and the
responsibility for the same fell mainly on my close friend Dinesh Bhonsle, who is from Goa itself and also is the director of
the awarded Marathi Movie ‘Marmbandh’,
Hindi
film ‘Calapore’ and upcoming Konkani film ‘Enemy’. During the course of this event,
Dinesh met with Mohana’s sister Ophelia and then through him I met Ophelia as
well. On the eve of 9th March 2015 when I met with Ophelia at her
house, through our conversations, I received a lot of information about Mohana.
The eldest of 2 sisters and 3 brothers
Mohana was born on 3rd February, 1929 to a Christian family in Goa’s
Socorro-Porvorim. Her given name was Mona
Blasia
Cabral. Mohana’s
father Robert Cabral
had a job
in Srilanka but in the second half of 1930’s decade he came back to Goa. At
that time he got a job at Hindustan Construction Company as a
cashier
and so along with his wife Lina and the kids, he came to Mumbai. Mohana’s
formative education was done in Porvorim and Mumbai. After a while she was sent
to a boarding school in Pune where she completed her school education and got a
job as a telephone operator in a telephone company. Essentially the job became
a route to films for Mohana.
Ophelia recalls, “There was no direct
telephone service in those days like what we have presently. The desired number
would be connected by the Telephone operator. As such Mohana would keep coming
in contact with the prominent personalities of the time including film
personalities. Because of her job, Mohana had become good friends with
actresses Begumpara, Nargis & producer/director Protima Dasgupta. She was
given her break in the film ‘Sawan Aya Re’ by producer-director-actor
Kishore
Sahu. The film saw her new identity emerging and her name Mona was changed to
her screen name ‘Mohana’.”
Film ‘Sawan Aya Re’ was made in 1949 which was, according
to Ophelia, Mohana’s first film. But Mohana was first seen onscreen with actor
Vishwa Mehra in 1948 in a song ‘raat ko ji chamke taare’ from R.K. banner’s first film ‘Aag’
– although,
her name is not there in the film credits. It seems that she signed for film
‘Aag’ after the film Sawan Aya Re’ but the film was released before her
debut film.
After
‘Aag’ and ‘Sawan Aya Re’, for the next decade, Mohana did films
like ‘Char Din’, ‘Kamal’,
‘Patanga’
(all
1949), ‘Ada’,
‘Nadan’,
‘Sagai’,
‘Sansar’
(all
1951), ‘Chham
Chhama Chham’, ‘Nazaria’,
‘Saqi’,
‘Saloni’
(all
1952), ‘Shole’
(1953), ‘Danka’,
‘Dost’,
‘Shart’
(1954), ‘Insaniyat’,
‘Marine
Drive’, ‘Sau Ka Note’, ‘Teerandaz’
(all
1955), ‘Suvarn
Sundari’ and ‘Baghi Sipahi’
(1958)
where she did comic and villainous roles and she also danced on many hit songs (see
links) and then she got married and left not only the film industry but India
as well.
Mohana was married twice. Her first
marriage took place in 1951 in a very dramatic fashion. She was rehearsing for
a song for the film ‘Sansar’ in a rehearsal room of Mumbai’s famous Ambassador
Hotel. There was a young English man who was staying in a room directly
opposite to the Rehearsal room. That young man was very upset because of the
constant racket made by the rehearsal. After 3-4
days when
his tolerance levels reached their peak he, in a fit of anger, went straight to
the rehearsal room. But the second he saw Mohana his anger vanished into thin
air and he apologised and went back to his room. Mohana’s beauty had enchanted
him. That young man was Edward Dawning, a pilot in the Indian Royal
Air Force. He became friends with Mohana, both fell in love and very soon they
were married. Mohana and Edward had a son who they named Mark. But after merely
1 – 1½ years of marriage Edward died in an air crash at the Kolkata airport.
Ophelia tells us, “In June 1952, Mohana
ventured into Konkani theatre with C. Alvares under his banner ‘Alvares
Production’
with the play ‘Kortub Avoichem’ and very soon she became a star
actress of the Konkani stage. She was a steady heroine for the plays of ‘Alvares
Production’. Mohana was a good singer as well. Konkani
songs sung by her were regularly played on air on Akashwani Panjim and there
were even records made on her songs.”
During the 1950’s decade, Mohana’s
second marriage took place with the general manager of Hindustan Leavers
Company,
John DeFrates. The company had an objection
on his union with an Indian woman and so John resigned from Hindustan Leavers
and took a job with United Nations. According to Ophelia Mohana left the film
industry for good after the 1955 film ‘Insaniyat’, however, according to her
filmography she was seen in two more films ‘Suvarn Sundari’ and ‘Baghi Sipahi’
in 1958.
In the second half of the 1950’s decade
John DeFrates was posted in Beirut and
Mohana went with him. Mohana had a daughter ‘Clare’ with John. While in Beirut
Mohana learnt Arabic and acted in some Arabic plays for Beirut T.V. In 1957
Mohana was also seen in an episode of the famous T.V. show ‘To Tell the Truth’. Ophelia says, “Mohana was very
attached to India. She would visit every 1 - 2 years. She was always attached
with Konkani plays.”
After almost 25 years in Beirut, John
DeFrates was posted to Vienna-Austria. In 1986, after retirement, John
DeFrates’s with wife Mohana and their Daughter settled in France where on 11th
September, 1990 Mohana passed away because of a heart attack. She was just
61years old at the time.
Mohana’s husband John
DeFrates
passed away on 12th September 1998 in Montelimar,
France. Mohana’s
son Mark from her first husband lives in California, America and is a big
jewellery entrepreneur. Her daughter Clare, from her second marriage, is
married and lives in France.
9 years younger, Mohana’s sister
Ophelia D’souza and her husband Bob Peter were very big stars of Konkani
theatre. Bob was not only an actor but was also a singer, composer and writer.
He wrote many Konkani plays. Famous as the ‘Tragedy Queen’, Ophelia was also a
very good singer along with being a great actor. Just like Mohana, Ophelia’s
Konkani songs were also regularly played on Akashwani. Ophelia was active on
Konkani stage from 1954 to 1997. In 43 years, Ophelia acted in almost 300 plays
and then because of age and health issues she said farewell to the stage.
Ophelia’s husband Bob Peter passed away
in 2005. Now 77 years old, Ophelia D’souza stays with her daughter and
son-in-law in Mumbai’s Mahim (West). Because of old age and ill health she
didn’t remember many important facts associated with Mohana’s career. And so
Meerut’s Shri Mool Narayan (M.N.) Sardana ji, who is a wealth of information on
artists from the golden age of Hindi cinema, came to the rescue. He provided ‘Beete Hue Din’ with a list of Mohana’s many films and
of the songs that were filmed on her and for this we are utterly grateful to
him. We also got a lot of information from our conversations with Surat’s
Senior Film Historian Shri
Harish
Raghuwanshi ji and through the ‘Hindi Film Geet Kosh’ which has been tediously compiled by
Kanpur’s Shri Harmandir Singh
‘Hamraz’ which helped this write-up
tremendously. I now humbly present this write-up to my ardent readers.
Ophelia D’souza died on 19 February
2016 in Mumbai.
(Mohana’s pictures – courtesy : ‘Life Magazine)