Tuesday, May 21, 2019

“Shamma Pe Aake O Parwane Jal Jal” – Heera Sawant

“शम्मा पे आके ओ परवाने जल जल जल” – हीरा सावंत  

                                             ..........शिशिर कृष्ण शर्मा

हीरा सावंत! आज की पीढ़ी के लिए भले ही ये नाम अनसुना-अनजाना सा हो लेकिन 1950 और 60 के दशक के फिल्म प्रेमियों के ज़हन में ये नाम आज भी उतना ही ताज़ा है| हीरा सावंत एक बेहतरीन डांसर होने के साथ साथ एक उम्दा अभिनेत्री भी थीं| उन्होंने 40 के दशक के अंत में हिन्दी फ़िल्मों में कदम रखा, 20 साल के अपने करियर में क़रीब 120 फ़िल्मों में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई, कुछ फ़िल्में प्रोड्यूस कीं और फिर बदलते वक़्त के साथ तमाम चमक-दमक भरी इस दुनिया को अलविदा कह दिया|

‘बीते हुए दिन’ के अभिन्न अंग, कानपुर निवासी श्री हरमंदिर सिंह ‘हमराज़’ द्वारा संकलित 5 वॉल्यूम की पुस्तक ‘हिन्दी फिल्म गीतकोश’ में 1950 और 60 के दशक की कई फ़िल्मों में हीरा सावंत का नाम नज़र आता है| ऐसे में स्वाभाविक तौर पर मन में उनके बारे में जानने की इच्छा पैदा हुई| इंटरनेट पर आई.एम.डी.बी. जैसी साइट्स पर भी उनकी फ़िल्मों के बारे में ख़ासी जानकारी मौजूद थी| लेकिन वो अब कहां हैं, किस हाल में हैं, इस बारे में कहीं कुछ भी पता नहीं चला| ‘सिने एंड टी.वी.आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिंटा)’ के रिकॉर्ड से भी उनके बारे में कुछ हासिल नहीं हुआ| ऐसे में ख़ामोश बैठ जाने के अलावा मेरे पास और कोई विकल्प ही नहीं था|

एक रोज़ मुझे ‘बीते हुए दिन’ के पाठक, ग्वालियर निवासी श्री आनंद पाराशर का फ़ोन आया| श्री पाराशर को गुज़रे दौर के भूले-बिसरे और गुमनाम से कलाकारों के बारे में जानकारी हासिल करने का, उनसे संपर्क करने का जूनून की हद तक शौक़ है| मुझे भी अक्सर उनसे दुर्लभ जानकारियां हासिल होती आयी हैं| बातों ही बातों में उन्होंने हीरा सावंत का न सिर्फ़ ज़िक्र किया बल्कि उनका टेलिफोन नंबर भी मुझे दे दिया| और इस तरह मेरी तलाश बिना किसी कोशिश के ख़ुद-ब-ख़ुद पूरी हो गयी| और फिर जल्द ही हीरा सावंत जी से मेरी मुलाक़ात भी हुई और ‘बीते हुए दिन’ के लिए बातचीत भी, जिसका पूरा श्रेय मैं साभार श्री पाराशर को देना चाहूंगा|

हीरा सावंत का जन्म 15 दिसंबर 1935 को ज़िला सिंधुदुर्ग-महाराष्ट्र के सावंतवाड़ी तालुका स्थित अजगांव में हुआ था| उनके पिता का मुम्बई में मोटरपार्ट्स की लेथ (खराद) का कारोबार था| 4 भाई और 2 बहनों में हीरा सावंत माता-पिता की सबसे बड़ी संतान थीं| जन्म के कुछ ही दिनों बाद वो मां के साथ मुम्बई आ गयी थीं| गिरगांव स्थित सेंट टेरेसा हाई स्कूल से उन्होंने मेट्रिक की पढ़ाई की| वो बताती हैं, “हम लोग ऑपेरा हाउस के इलाक़े में रहते थे| मशहूर अभिनेता सप्रू की पत्नी हेमावती के भाई संजू शेट्टी हमारे पड़ोसी थे| हेमावती पृथ्वी थिएटर के नाटकों में अभिनय करती थीं और संजू शेट्टी उन नाटकों में संगीत देते थे| उन दोनों भाई-बहन के ज़रिये मैं भी पृथ्वी थिएटर से जुड़ गयी| उस ज़माने में मुझे पृथ्वी थिएटर के कई नाटकों में काम करने का मौक़ा मिला| साथ ही मैं मास्टर मोहनलाल जी से कत्थक भी सीखने लगी जो आशा पारेख के भी गुरु थे|”

हीरा जी के अनुसार एक रोज़ फ़िल्म प्रोड्यूसर हीरालाल पटेल और डायरेक्टर कुलभूषण अग्रवाल उनके घर पर आए| उन्होंने पृथ्वी थिएटर के किसी नाटक में हीरा जी को देखा था और उनके काम से बेहद प्रभावित हुए थे| उन्होंने हीरा सावंत को अपनी फ़िल्म ‘हुआ सवेरा’ में सेकण्ड लीड का रोल ऑफ़र किया| और इस तरह हीरा सावंत का फिल्मी करियर शुरू हो गया| ‘जीवन कला चित्र’ के बैनर में बनी फ़िल्म ‘हुआ सवेरा’ की मेन लीड में सप्रू और नयनतारा थे| संगीत ज्ञानदत्त का था और ये फ़िल्म साल 1948 में रिलीज़ हुई थी|

हीरा जी कहती हैं, “मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि नाटकों में या फ़िल्मों में काम करूंगी| मुझे ख़ुद ही ऑफर आयीं और मैंने काम शुरू कर दिया| ‘हुआ सवेरा’ के बाद फ़िल्में भी ख़ुद-ब-ख़ुद मिलने लगीं| इसलिये करियर को लेकर कभी कोई योजना ही नहीं बनाई| जैसा भी काम आया करती चली गयी|”

हीरा जी ने ‘सुनहरे दिन’ (1949) में हिरोईन रेहाना की सहेली का रोल किया और दो गानों पर डांस भी किया| इनमें ‘उमंगों के दिन बीते जाएं, बीत के ये दिन हाथ न आएं’ मस्तीभरी तेज़ रफ़्तार धुन, शानदार कोरियोग्राफ़ी और बेमिसाल कैमरावर्क की वजह से बेहद हिट हुआ था| इसी तरह ‘हर हर महादेव’ (1950) के हिट गीत ‘टिम टिमा टिम तारे’ पर भी उनका डांस बहुत पसंद किया गया| इस दौरान उनकी ‘जय शंकर’, ‘नखरे’, ‘सलोनी’, ‘रंगीला’ जैसी कई फ़िल्में प्रदर्शित हुईं| लेकिन उन्हें असल पहचान फ़िल्म ‘नाग पंचमी’ (1953) के सुपरहिट गीत ‘आरती करो, हरिहर की करो, नटवर की करो’ पर किये डांस से मिली| और फिर साल 1954 में फिल्म ‘बाराती’ के गीत ‘सारी रात जागे लागे जो तोसे नैनवा’, ‘चक्रधारी’ के ‘ओ मेरी सास के लड़के’ और ‘मीनार’ के ‘शम्मा पे आके ओ परवाने जल जल’ जैसे हिट गीतों ने उन्हें एक बेहतरीन डांसर के तौर पर पूरी तरह स्थापित कर दिया|

हीरा सावंत के अनुसार 1950 का दशक उनके लिए बेहद व्यस्तताओं से भरा रहा| उस दौर में उनकी क़रीब 75 फ़िल्में रिलीज़ हुईं जिनमें 1957 की ‘मुसाफ़िर’ का उल्लेख वो ख़ासतौर से करती हैं| दरअसल ‘मुसाफ़िर’ का गीत ‘टेढ़ी टेढ़ी हमसे फिरे सारी दुनिया’ इसलिए उल्लेखनीय है क्योंकि इस गीत में हीरा सावंत के साथ परदे पर कॉमेडियन केश्टो मुकर्जी और हारमोनियम बजाते हुए गीतकार शैलेन्द्र नज़र आते हैं| इस फ़िल्म से केश्टो मुकर्जी के अलावा बतौर निर्देशक हृषिकेश मुकर्जी ने भी डेब्यू किया था|

‘मुसाफ़िर’ को इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि इस फ़िल्म में दिलीप कुमार ने पहली और आख़िरी बार गाना (डुएट : ‘लागी नाहीं छूटे रामा चाहे जिया जाए’/सहगायिका : लता मंगेशकर) गाया था| साल 1957 में ही हीरा सावंत  और शीला वाज़ पर फिल्माई गयी फिल्म ‘नौशेरवाने आदिल’ की क़व्वाली ‘मेरे दर्दे जिगर की हर धड़कन’ भी सुपरहिट हुई थी| साल 1958 में प्रदर्शित हुई देवआनंद, मधुबाला और नलिनी जयवंत की मुख्य भूमिकाओं वाली फ़िल्म ‘कालापानी’ में हीरा सावंत ने कोठे पर नाचनेवाली का रोल किया | इस फिल्म की ग़ज़ल ‘जब नामे मोहब्बत लेके किसी नादान ने दामन फैलाया’ नलिनी जयवंत और हीरा सावंत पर फ़िल्माई गयी थी| 

हीरा जी की 1960 के दशक में प्रदर्शित हुई क़रीब 50 फ़िल्मों में जहां एक तरफ़ ‘डाकू मंसूर’, ‘जिप्सी गर्ल’, ‘जादू महल’, ‘मैडम झपाटा’, ‘फ्लाइंग हॉर्स’, ‘काला घोड़ा’, ‘कैप्टन आज़ाद’, ‘जंगल राजा’, ‘खूनी खज़ाना’, ‘शाही लुटेरा’, ‘लुटेरा और जादूगर’, ‘तातार की हसीना’ जैसी स्टंट और फैंटेसी फ़िल्में शामिल थीं तो वहीं दूसरी तरफ़ ‘ससुराल’, ‘हमराही’ और ‘तू ही मेरी ज़िंदगी’ जैसी सामाजिक फ़िल्मों में भी वो नज़र आयीं| साल 1962 में प्रदर्शित हुई फ़िल्म ‘राष्ट्रवीर शिवाजी’ के लावणी गीत ‘दिन बार बार ये आये’ पर उनका डांस उस ज़माने में ख़ासा पसंद किया गया था|

हीरा जी कहती हैं, “1960 का दशक शुरू होते होते मेरे मन में प्रोड्यूसर बनने की तमन्ना जन्म लेने लगी| साल 1964 में मैंने अपने बैनर ‘एच.एस.फ़िल्म्स’ की बुनियाद रखकर फ़िल्म ‘टार्ज़न एंड डिलाईला’ बनाई| इस फ़िल्म की मुख्य भूमिकाओं में चित्रा, आज़ाद, बेला बोस और मास्टर भगवान जैसे उस ज़माने के मशहूर कलाकार थे| संगीत रॉबिन बनर्जी का था और डायरेक्टर थे ए. शमशीर| इसके बाद मैंने दो मराठी फ़िल्में ‘श्रीमंत मेहुणा पाहिजे’ और ‘आई मी कुठे जाऊं’ प्रोड्यूस कीं| लेकिन इसके बाद मेरी अगली मराठी फ़िल्म प्रदर्शित नहीं हो पायी जिसकी वजह से मुझे बहुत आर्थिक नुकसान हुआ| ऐसे में मुझे मजबूरन प्रोडक्शन बंद कर देना पड़ा|”

हीरा जी मुम्बई के प्रभादेवी इलाक़े में सिद्धिविनायक मंदिर के पास रहती हैं| उनकी बतौर अभिनेत्री आख़िरी फ़िल्में ‘सखी लुटेरा’ और ‘परियों की शहज़ादी’ साल 1969 में प्रदर्शित हुई थीं| वो कहती हैं, “फ़िल्मों और फ़िल्मी लोगों से मेरे रिश्तों को टूटे हुए  50 साल हो चुके हैं| लेकिन डायरेक्टर ए. शमशीर की पत्नी ज़रूर अपवाद हैं जो आज भी मेरी अच्छी दोस्त हैं| शौहर के गुज़रने के बाद वो अब अहमदनगर में रहती हैं| ए. शमशीर बोहरी मुस्लिम थे और मैं उनकी ‘प्राइवेट डिटेक्टिव’ और ‘काला घोड़ा’ जैसी फ़िल्मों में काम कर चुकी थी| मेरे प्रोडक्शन की फ़िल्मों के डायरेक्टर भी वोही थे| साल 1970 में एक पंजाबी परिवार में मेरी शादी हुई| मेरे पति सुन्दर आर्य एक बिजनेसमैन थे जो अब जीवित नहीं हैं| मशहूर सुपरमॉडल, अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड इण्डिया नताशा सूरी और अभिनेत्री-मॉडल रुपाली सूरी मेरे देवर की बेटियां हैं| नताशा और रूपाली मेरे लिए भी बेटियां ही हैं और मेरा सहारा भी| अब मेरी ज़िंदगी इन्हीं दोनों के साथ हंसीखुशी गुज़र रही है|”

(विशेष : ग्वालियर निवासी श्री आनंद पाराशर और मुम्बई निवासी वरिष्ठ फ़िल्म इतिहासकार श्री अरूणकुमार देशमुख जी ने हीरा सावंत पर फ़िल्माए गए गीतों की तलाश में मेरी भरपूर मदद की| इसके लिए भी ब्लॉग ‘बीते हुए दिन’ श्री पाराशर और श्री देशमुख का आभारी है|)

We are thankful to –

Mr. Sanjeev Tanwar (Film Historian & Writer/Delhi) for sharing Heera ji’s picture & information reg. ‘Hua Savera’ published in ‘Film India’.  

Mr. Harish Raghuvanshi & Mr. Harmandir Singh ‘Hamraz’ for their valuable suggestion, guidance and support.

Mr. S.M.M.Ausaja for providing movies’ posters.

Mr. Gajendra Khanna for the English translation of the write ups.

Mr. Manaswi Sharma for the technical support including video editing.


Heera Sawant on YT Channel BHD



Shama Pe Aake O Parwane Jal Jal” – Heera Sawant  

                                    ......Shishir Krishna Sharma

Heera Sawant! Her name may be unfamiliar to today’s generation, but the name is still fresh in minds of the film lovers who adore films of the 1950s and 60s. Heera Sawant was not only an excellent dancer but also an adept actress. She made her debut in Hindi films in 1940s, made her emphatic presence felt in around 120 films over two decades, produced a few films and with the changing times bid adieu to the arc lights of the film world.

Heera Sawant’s name can be seen in ‘Beete Hue Din’s pillar, the Kanpur resident Shri Harmandir Singh Hamraz’s five volume compilation, ‘Hindi Film Geet Kosh’’s volumes dedicated to the 1950s and 1960s.  This developed a natural curiosity in my mind towards knowing more about her. On the internet, sites like IMDB also have a treasure trove of information about her films. However, no information about her present whereabouts, condition etc. was forthcoming. The records of the ‘Cine & TV Artists Association’ (CINTAA) also were unable to throw any leads in the direction which left me no option but to be silent while my curiosity lay unquenched.

One fine day, ‘Beete Hue Din’s reader Shri Anand Parashar called me from Gwalior. Shri Parasher has a massive passion towards finding information about and contacting forgotten artists of the era gone by. I have also been a big beneficiary of the rare goldmine of information available with him. During a casual conversation not only did he discuss her but even gave me her telephone number! In this manner, my search reached its conclusion automatically without any further efforts by me! And very soon I was able to meet Heera Sawant ji and talk to her for ‘Beete Hue Din’, the sole credit for which goes to Shri Parasher to whom I owe my eternal gratitude for this.

Heera Sawant was born on 15 December 1935 in Sawantwadi Taluka’s Ajgaon in Sindhudurg district of Maharashtra’s. Her father was engaged in the business of Motorpart’s Lathe (Kharad) in Mumbai. Heera ji was the eldest sibling among four brothers and two sisters. She reached Mumbai within a few days of her birth with her mother. She completed her matriculation at Girgaon’s Saint Teresa High School. She says, “We used to stay in the Opera House area. Famous actor Sapru’s wife Hemawati’s brother Sanju Shetty was our neighbor. Hemawati used to act in the plays of Prithvi Theatre and Sanju Shetty was a composer for them. Through their contacts, I also got associated with Prithvi Theatre. In those days I got an opportunity to work in many plays of Prithvi Theatre. At the same time, I started learning Kathak from Master Mohanlal ji who was also the guru of Actress Asha Parekh.”

According to Heera ji, one fine day, Film Producer Heeralal Patel and Director Kulbhushan Agrawal visited her house. They had seen her performance in some play of Prithvi Theatre’s and were impressed with her work. They offered her the second lead’s role in their film ‘Hua Savera’ which marked the beginning of her film career. Film ‘Hua Savera’ was made under the ‘Jeevan Kala Chitra’ banner and had Sapru and Nayantara as its main leads. Its music was composed by Gyan Dutt and it was released in the year 1948.

Heera ji says, “I had never thought that I will work in plays or films. I got offers spontaneously and started working in them without any struggle by the grace of God. After ‘Hua Savera’ I started getting many offers for films and as a result without planning my career I started doing whatever work came my way.”

Heera ji played the role of the heroine Rehana’s sister in the movie ‘Sunehre Din’ (1949) and danced to two songs as well. Of these, ‘Umangon Ke Din Beete Jaayen, Beet Ke Yeh Din Haath Na Aayen’ became very popular due to its fun filled catchy tune, wonderful choreography and fabulous camera work. Similarly her dance to ‘Har Har Mahadev’ (1950)’s hit song ‘Tim Tima Tim Taare’ was also appreciated a lot. During this period many of her movies like ‘Jai Shankar’, ‘Nakhre’, ‘Saloni’ and ‘Rangeela’ were released. However, She got real recognition for her dance in film ‘Naag Panchmi’ (1953)’s superhit song ‘Aarti Karo, Harihar Ki Karo, Natwar Ki Karo’. After that her reputation as a danseuse par excellence got cemented with her performances in hit songs like ‘Saari Raat Jaage Jo Tose Nainwa’ (‘Baraati’), ‘O Meri Saas Ke Ladke’ (‘Chakradhari’) and ‘Shama Pe Aake O Parwane Jal Jal’ (‘Meenar’), all released in 1954.   

According to Heera Sawant, the decade of 1950s was very busy for her. During it nearly 75 films of her’s released of which she particularly mentions the 1957 release ‘Musafir’ fondly. Its song ‘Tedhi Tedhi Humse Phire Saari Duniya’ is particularly memorable because on screen with Heera Sawant we can see comedian Keshto Mukherjee and a harmonium playing lyricist Shailendra! This film marked the debut of not only Keshto Mukherjee but also of noted director Hrishikesh Mukherjee’s. ‘Musafir’ is also the movie which marked the first and only case of Dilip Kumar singing a song in his own voice that was a duet ‘Laagi Naahin Chhoote Rama Chaahe Jiya Jaaye’ with Lata Mangeshkar. The same year the qawwali ‘Mere Dard-e-Jigar Ki Har Dhadkan’ picturized on Heera Sawant and Sheela Vaz in the film ‘Nausherwan-e-Adil’ had also been a superhit. In 1958’s film ‘Kalapani’ which had Dev Anand, Madhubala and Nalini Jaywant playing the main leads, Heera Sawant had played the role of a nautch girl who dances at a Kotha. The film’s ghazal ‘Jab Naam-e-Mohabbat Le Ke Kisi Nadaan Ne Daaman Failaaya’ was picturized on Nalini Jaywant and Heera Sawant.

In her nearly 50 releases in the 1960s, Heera ji was seen on one hand in stunt and fantasy films like ‘Daaku Mansur’, ‘Gypsy Girl’, ‘Jaadoo Mahal’, ‘Madam Zapata’, ‘Flying Horse’, ‘Captain Azad’, ‘Jungle Raja’, ‘Khooni Khazaana’, ‘Shahi Lutera’, ‘Lutera aur Jaadoogar’, ‘Taataar Ki Haseena’ and on the other hand she was also seen in socials like ‘Sasuraal’, ‘Hamraahi’ and ‘Tu Hi Meri Zindagi’, Her performance in the Lavni song ‘Din Baar Baar Yeh Aaye’ in 1962 release ‘Rashtraveer Shivaji’ was also very appreciated at the time of release.

Heera ji tells us, “In early 1960s, I started toying with the idea of becoming a producer. I laid the foundation of my banner ‘H S Films’ with the 1964 release ‘Tarzan and Delilah’. It had the famous actors of the period, Chitra, Aazad, Bela Bose and Master Bhagwan starring in it. Its composer was Robin Banerjee and Director was A Shamsheer. After that I also produced two Marathi movies ‘Shreemant Mehuna Paahije’ and ‘Aai Mee Kuthe Jaoon’. After this, unfortunately my next Marathi film could not be released due to which I had to face a huge financial setback. This forced me to cease the production.”

Heera ji stays in Mumbai’s Prabhadevi area near the Siddhivinayak temple. As an actress her last movies ‘Sakhi Lutera’ and ‘Pariyon Ki Shehzaadi’ were released in 1969. She says, “My relations with the film world had got severed nearly five decades ago. The only exception is the wife of Director A.Shamsheer who is a good friend of mine and still in touch with me. After her husband passed away, she now resides in Ahmednagar. A.Shamsheer was a Bohri Muslim and I had acted in his films like ‘Private Detective’ and ‘Kala Ghoda’. He was also the director of the films I produced. In the year I got married in a Punjabi family. My late husband Sundar Arya was a businessman. Famous supermodel, actress and former Miss World - India Natasha Suri and Actress-model Rupali Suri are the daughters of my brother-in-law (husband’s younger brother). Natasha and Rupali are like my daughters and are my support system. Now I am leading a happy retired life with both of them.”

(Special Thanks : Gwalior Resident Shri Anand Parasher and Mumbai Resident Veteran Film Historian Shri Arunkumar Deshmukh ji gave me whole hearted support in identifying songs picturized on Heera Sawant ji. Blog ‘Beete Hue Din’ is extremely grateful to Shri Parasher and Shri Deshmukh for this great help.) 

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