Thursday, April 6, 2023

"Ye Raat Phir Na Ayegi, Jawani Beet Jayegi" - Leela Pandey

ये रात फिर न आएगी, जवानी बीत जाएगी” – लीला पाण्डे  

                                             ...........शिशिर कृष्ण शर्मा


हिन्दी सिनेमा में ऐसे बेशुमार कलाकार हुए जिन्होंने काम तो बहुत ज़्यादा नहीं किया, लेकिन दशकों पुरानी अपनी फ़िल्मों में वो आज भी नज़र आते हैं| हालांकि बदलती पीढ़ियों के साथ वो अपनी पहचान खोते गए, और फिर समय के साथ-साथ सिर्फ़ एक चेहराभर बनकर रह गए| आज स्थिति ये है कि उनके बारे में कोई जानकारी होना तो दूर, किसी को उनका नाम तक नहीं पता| 

ऐसी ही एक कलाकार थीं लीला पाण्डे, जिन्होंने 8 साल के अपने करियर में कुल जमा एक दर्जन फ़िल्मों में काम किया, अपनी ख़ासी पहचान बनाई, और फिर शादी करके फ़िल्मों को अलविदा कह दिया| अशोक कुमार की फ़िल्म 'महल' (1949) का, राजकुमारी और जोहराबाई का गाया सुपरहिट गीत 'ये रात फिर न आएगी, जवानी बीत जाएगी' लीला पाण्डे और नृत्यांगना शीला नाईक पर फ़िल्माया गया था|     

लीला पाण्डे ने अपनी ज़िंदगी के आख़िरी कई साल देहरादून में अपने भाई शम्मी मोहन के परिवार के साथ रहकर बिताए| कुछ महीनों पहले (स्वर्गीय) शम्मी मोहन की पत्नी श्रीमती इंदु मोहन और बेटे मेहराज मोहन से देहरादून के सेवक आश्रम रोड - आर्यनगर स्थित उनके घर पर हुई बातचीत में मुझे लीला जी के बारे में काफ़ी जानकारी हासिल हुई| 
 
'Ye Raat Phir Na Ayegi, Jawani Beet Jayegi' - 'Mahal' (1949) with Sheela Naik

लीला पाण्डे का असली नाम रमा मोहन था| उनका जन्म 25 दिसंबर 1930 को लाहौर में, कश्मीरी मूल के एक मोह्याल ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जिन्हें हुसैनी ब्राह्मण भी कहा जाता है| 2 भाई और 2 बहनों में लीला पाण्डे सबसे बड़ी थीं| लीला जी से छोटे शम्मी मोहन थे, उनसे छोटी बहन शबनम और सबसे छोटे भाई राज मोहन| लीला जी के पिता धरमपाल मोहन देहरादून में सर्वे ऑफ़ इंडिया में नौकरी करते थे| 

'सर्वे ऑफ़ इंडिया' यानी 'भारतीय सर्वेक्षण विभाग' भारत सरकार के सबसे पुराने विभागों में से एक है, जिसका काम भारत के चप्पे चप्पे का सर्वेक्षण करके नक़्शे तैयार करना है| स्कूली एटलस में छपे तमाम नक़्शों के साथ इस विभाग का नाम अनिवार्यतः दर्ज होता है|

मशहूर अभिनेता ओमप्रकाश (छिब्बर) रिश्ते में लीला जी के चाचा थे, जिन्होंने लाहौर में बनने वाली फ़िल्मों से अपना करियर शुरू किया था| लीला जी उन्हीं की प्रेरणा और प्रोत्साहन से 1940 के दशक की शुरूआत में 13 – 14 साल की उम्र में मुम्बई आकर पृथ्वीराज कपूर की कंपनी 'पृथ्वी थिएटर' से बतौर अभिनेत्री जुड़ गयी थीं| और फिर साल 1945 की 'धर्म' से उन्होंने फ़िल्मों में कदम रखा था| रमा मोहन की जगह  स्क्रीननेम लीला पाण्डे भी उन्होंने अपनी इस डेब्यू फ़िल्म 'धर्म' में ही रख लिया था|

साल 1945 से 1953 तक 8 साल के अपने करियर में लीला जी ने कुल 12 फ़िल्मों में काम किया - 

1.  धर्म (1945)                                                 2.  शतरंज (1946)

3.  चित्तौड़ विजय (1947)                                  4.  गैबी तलवार (1948)

5.  जादुई चित्र (1948)                                       6.  जादुई शहनाई (1948)

7.  अलाउद्दीन की बेटी (1949)                           8.  अपराधी (1949)

9.  महल (1949)                                              10. सती अहिल्या (1949)

11. मांग (1950)                                               12. आबशार (1953)


आज इनमें से केवल दो ही फ़िल्में उपलब्ध हैं - 'महल' और 'अपराधी', जिन्हें यूट्यूब पर देखा जा सकता है| ‘महल' में लीला जी केवल एक गीत में नज़र आयीं, तो 'अपराधी' में मधुबाला, रामसिंह और प्राण के साथ उन्होंने भी, स्वतंत्रता सेनानी का एक बेहद अहम किरदार निभाया था| उधर एक रोज़ पिकनिक पर जाते समय उनकी कार खंडाला में दुर्घटनाग्रस्त होकर गहरी खाई में गिर गयी थी| इस दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल लीला जी लम्बे समय तक मुम्बई के ब्रीचकैंडी अस्पताल में भर्ती रहीं और डॉक्टरों को उनके पैर का अंगूठा काटना पड़ा|

साल 1953 में लीला जी की शादी हुई| उनके पति यशपाल बख्शी ब्रिटिश एयरवेज़ में पायलट थे| शादी के बाद लीला जी ने फ़िल्मों को अलविदा कहकर अपनी गृहस्थी संभाल ली| वो अपने पति के साथ दक्षिण मुम्बई के कोलाबा में रहती थीं| साल 1954 में उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम सनोबर रखा गया| दुर्भाग्य से सनोबर 3 साल की उम्र में ही गुज़र गयी थी| 

पश्तो, हिन्दी, अंग्रेज़ी, पंजाबी और मराठी भाषाओं पर लीला जी की मज़बूत पकड़ थी| लिखने का उन्हें बेहद शौक़ था और वो एक बेहतरीन शायरा थीं| लीला जी एक ट्रेंड कत्थक डांसर भी थीं, लेकिन पैर का अंगूठा कट जाने के बाद उन्हें कत्थक छोड़ देना पड़ा था| 

With Ram Singh in 'Apradhi' (1949)
उधर साल 1955 में देहरादून में लीला जी से 25 साल छोटे भाई शम्मी का, 1957 में बहन शबनम का, और 1960 में भाई राज का जन्म हुआ| लेकिन राज के जन्म के 3 साल बाद, साल 1963 में उनकी मां गुज़र गयीं| नतीजतन तीनों छोटे बच्चों की देखभाल की ज़िम्मेदारी लीला जी के पिता पर आ गयी, जो उस समय नौकरी में थे| ऐसे में लीला जी तीनों भाई-बहन को अपने साथ मुम्बई ले आयीं जहां उन्हें स्कूल में दाख़िला दिला दिया गया|

साल 1970 में लीला जी के पिता रिटायर हुए तो उनके आग्रह पर लीला जी 1972 में तीनों भाई-बहन को साथ लेकर देहरादून लौट आयीं| लेकिन कुछ ही दिनों बाद उनके पिता का निधन हो गया| उधर लीला जी के पति को नौकरी की वजह से मुम्बई में ही रहना पड़ा| ऐसे में लीला जी  का मुम्बई और देहरादून के बीच आना जाना लगा रहता था| 

1980 के दशक के मध्य में ब्रिटिश एयरवेज़ से रिटायर होने के बाद लीला जी के पति यशपाल बख्शी एक प्राईवेट फ्लाइंग स्कूल से बतौर फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर जुड़ गए थे| लेकिन साल 1987 में ट्रेनी विमान के हादसे में उनका निधन हो गया था, जिसके बाद लीला पाण्डे मुम्बई छोड़कर स्थायी रूप से देहरादून आ गयीं और अपने भाई शम्मी मोहन के परिवार के साथ रहने लगीं| 

लीला पाण्डे यानि रमा मोहन उर्फ़ रमा बख्शी की आर्थिक स्थिति मज़बूत थी| कोलाबा-मुम्बई के अपने फ्लैट से उन्हें हर महीने किराया मिलता था| देहरादून में उन्होंने प्रॉपर्टी के अलावा आयुर्वेदिक दवाएं और प्रसाधन सामग्री बनाने वाली एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की जानीमानी कंपनी में भी अच्छा-खासा निवेश किया हुआ था| मुम्बई की कई नामचीन फ़िल्मी हस्तियों से उनके पारिवारिक रिश्ते थे| अभिनेता बलराज साहनी, गीतकार भरत व्यास और गीतकार आनंद बख्शी जैसे दिग्गज उनसे मिलने देहरादून भी आए थे| आनंद बक्षी रिश्ते में उनके देवर थे| 

Smt. Indu Mohan

साल 1997 में लीला जी को पैरालिसिस का अटैक पड़ा था| दो साल तक उसी हालत में रहने के बाद 7 जुलाई 1999 को 69 साल की उम्र में उनका निधन हो गया| उनकी बहन शबनम लम्बी बीमारी की वजह से 1970 के दशक में ही, 20-21 साल की उम्र में गुज़र गयी थीं| उनके भाई शम्मी मोहन, जिन्होंने आख़िरी वक़्त तक बड़ी बहन की देखभाल की, 1 जुलाई 2014 को गुज़रे| सबसे छोटे भाई राजमोहन दिल्ली में रहते हैं और कम्प्युटर हार्डवेयर के कारोबार में हैं|

(स्वर्गीय) शम्मी मोहन जी की पत्नी श्रीमती इंदु मोहन और बेटे मेहराज मोहन की सलाह पर अतिरिक्त जानकारी के लिए मैंने (स्वर्गीय) भरत व्यास जी के भतीजे और अभिनेता बी.एम.व्यास जी के बेटे मनमोहन व्यास, (स्वर्गीय) आनंद बख्शी जी के बेटे राकेश बख्शी और (स्वर्गीय) बलराज साहनी जी के बेटे परीक्षित साहनी से संपर्क किया| श्री मनमोहन व्यास और श्री राकेश बख्शी ने तो विनम्रता के साथ, लीला जी के बारे में किसी भी तरह की जानकारी को लेकर अनभिज्ञता जताई, लेकिन परीक्षित साहनी ने ये जानते हुए भी कि याचक कोई बाहरी व्यक्ति नहीं, बल्कि 'सिने एंड टी.वी. आर्टिस्ट एसोसिएशन' (सिंटा) और 'फ़िल्म राईटर्स एसोसिएशन' का सदस्य है, जवाब देने की भी ज़हमत नहीं उठाई| 

Shri Vishwa Narayan Uniyal
लीला पाण्डे के परिजनों का ये साक्षात्कार मेरे मित्र श्री विश्वनारायण उनियाल के प्रयत्नों से संभव हुआ, जिसके लिए 'बीते हुए दिन' श्री उनियाल का आभारी है| उल्लेखनीय है कि नोएडा-ग़ाज़ियाबाद के निवासी श्री उनियाल मूल रूप से देहरादून स्थित मेरे ही गांव 'नवादा' से हैं, और मित्र होने के साथ ही रिश्ते में मेरे भाई भी लगते हैं| श्री विश्वनारायण उनियाल उर्फ़ टोनी श्रीमती इंदु मोहन की छोटी बहन के पति हैं| 

We are thankful to –

Mr. Vishwa Narayan Uniyal aka Tony (Nawada-Dehradun / NOIDA) for connecting us with Leela Pandey’s kin @ Dehradun. 

Mr. Harish Raghuvanshi Mr. Harmandir Singh ‘Hamraz’ for their valuable suggestion, guidance, and support.

Mr. S.M.M.Ausaja for providing movies’ posters.

Mr. Gajendra Khanna for the English translation of the write up.

Mr. Manaswi Sharma for the technical support including video editing.


Leela Pandey on YT Channel BHD




ENGLISH TRANSLATION FOLLOWS...



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